भारत जैसे देश में जहां लाखों परिवारों की आजीविका कृषि और पशुपालन पर निर्भर है, वहां डेरी फार्मिंग न केवल एक व्यवसाय है, बल्कि जीवन का एक अहम हिस्सा भी है। गाय और भैंस जैसे दुधारू पशु हमारे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इन पशुओं की सही देखभाल और समय पर प्रजनन ही एक डेयरी फार्म की सफलता सुनिश्चित करता हैं।
कई बार ऐसा होता है कि गाय खाली होती है और किसान महीनों तक यह सोचकर इंतज़ार करता है कि पशु गाभिन है। पारंपरिक तरीकों से पुष्टि करने में अक्सर 60 से 90 दिन लग जाते हैं, और इस देरी की वजह से नुकसान भी उतना ही बड़ा होता है। इतने लंबे समय तक इंतज़ार करने के बाद अगर पता चले कि पशु प्रेगनेंट नहीं है, तो बीच का समय पूरी तरह बेकार चला जाता है, न दोबारा AI हो पाता है, न पोषण सही तरीके से दिया जाता है। इस वजह से दूध उत्पादन पर भी असर पड़ता है, और पशु का प्रजनन चक्र गड़बड़ाने लगता है। साथ ही, जब दो ब्यांत के बीच का अंतराल बढ़ जाता है, तो पूरे डेरी फार्म की उत्पादकता कम हो जाती है। ऐसे हालात में पशु से होने वाला आर्थिक फायदा धीरे-धीरे घटने लगता है, और किसान को उम्मीद से बहुत कम मुनाफा मिलता है।
गायों में गर्भावस्था की पहचान शुरू में करना आसान नहीं होता। परंपरागत तौर पर किसान सिर्फ पशु के व्यवहार या कुछ बाहरी लक्षणों के आधार पर अंदाज़ा लगाते हैं, जैसे हीट में न आना, गाय का शांत रहना, दूध में हल्का बदलाव, आदि। लेकिन यह सब संकेत न तो सटीक होते हैं और न ही हर बार भरोसेमंद।
मौजूदा समय में प्रेगनेंसी की सही समय पर जांच के लिए जो पारंपरिक उपाय अपनाए जाते हैं, वे या तो महंगे होते हैं या फिर सभी किसानों की पहुंच में नहीं होते। कुछ पशु चिकित्सक रेक्टल जांच के माध्यम से प्रेगनेंसी चेक करते हैं, लेकिन यह तरीका शुरुआती दिनों में हमेशा सटीक परिणाम नहीं देता और कभी-कभी इससे पशु तनाव में आ जाते है, जिससे गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है। अल्ट्रासाउंड जैसी तकनीकें निश्चित रूप से सटीक होती हैं, लेकिन इन उपकरणों की कीमत ज़्यादा होती है और वे हर किसान या छोटे डेरी फार्म के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं होते।
इसके अलावा, कुछ हार्मोन आधारित जांच भी होती हैं, जो दूध या खून में विशेष हार्मोन की मात्रा को मापती हैं। हालांकि ये जांच भी आमतौर पर प्रयोगशाला में होती हैं और इनकी लागत अधिक होती है, जिससे नियमित रूप से इनका उपयोग कर पाना कई किसानों के लिए संभव नहीं होता।
अब सोचिए, अगर यही जानकारी जल्दी और आसानी से मिल जाए, तो क्या फायदा हो सकता है? यदि किसी किसान को मात्र कुछ ही हफ्तों में यह पता चल जाए कि उसकी गाय या भैंस गाभिन है या नहीं, तो वह समय पर सही निर्णय ले सकता है। यह न केवल मां और बछड़े के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि फार्म की उत्पादकता और प्रजनन दक्षता को भी बढ़ाएगा।
इसी महत्वपूर्ण जरूरत को ध्यान में रखते हुए, Prompt ने एक सरल और सटीक समाधान तैयार किया है,
यह टेस्ट किट गर्भाधान के केवल 28 दिन बाद ही गाय में और 35 दिन बाद भैंस में सटीक परिणाम देती है। यानी जहां पारंपरिक तरीकों से 60 से 90 दिन इंतजार करना पड़ता है, वहीं अब किसान एक महीने के भीतर ही यह जान सकता है कि उसका पशु गर्भवती है या नहीं।
Prompt Boveasy का उपयोग आसान है, इसमें कोई तकनीकी उपकरण या प्रयोगशाला की जरूरत नहीं होती और इसे डेरी फार्म पर ही किया जा सकता है। यह पूरी प्रक्रिया पशु के लिए तनावमुक्त होती है, जिससे न तो उसे कोई तकलीफ होती है और न ही दूध उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ता है। प्रति ब्यांत एक पशु पर किसान लगभग ₹10,000 तक की बचत कर सकता है।
पंजाब के गुरप्रीत सिंह ने जब Prompt Boveasy को अपने डेरी फार्म पर आज़माया, तो उन्हें फर्क साफ नज़र आया। उन्हें अपनी गाय की प्रेगनेंसी का पता समय रहते ही लग गया, जिससे उन्होंने ढाई महीने का इंतज़ार ना करना पड़ा ।
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